शादी
से पहले की सोच
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कोकिला
की बोली होय, रंग नही कोकिला की,
हस्तिनी
की चाल होय, मोटी नही हाथी हो।
सबको
वो सम देखे एक आँख दुनिया को,
पर
दोनो आँखों वाली प्यारी मेरी साथी हो।
पतली
कमर होय, टीवी की मरीज नही,
नैन
में हो चितवन, दृष्टि फिर जाते हो।
कदली
समान पैर, प्यारी के निराले होय,
देखने
को बार बार नैन लौट आते हो।
रात
की अंधेर में चमक चाँदनी की होय,
लागे
वह मेरी प्यारी शुक्लाभिसारिका।
हॅंसती
हो फूल झड़े, लम्बे लम्बे बालों वाली,
नायिका
बेकार सब लागे वह सारिका।
सास
व ससुर होय दिल से रंगीले सब,
छोटी-मोटी
प्यारी-प्यारी दो चार साली हो।
सन्तरे
सम गाल वाला, साला भी निराला होय,
उसकी
बहन प्यारी, मेरी घर वाली हो।
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बुधवार, 1 अक्टूबर 2014
"शादी से पहले की सोच" (डॉ.महेन्द्र प्रताप पाण्डेय 'नन्द')
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